जयंत सिन्हा ने पार्टी के नोटिस का दिया जवाब, बोले- किसी ने उनसे संपर्क नहीं किया

रांची। हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के मौजूदा भाजपा सांसद जयंत सिन्हा ने पार्टी के नोटिस का जवाब दिया है। जयंत सिन्हा ने अपने जवाब में कहा है कि किस तरह झारखंड भाजपा के नेताओं और पदाधिकारियों ने उन्हें नजरअंदाज किया। सिन्हा ने इस बात पर आपत्ति जतायी है कि उन्हें जो नोटिस दिया गया, उसे मीडिया में क्यों सार्वजनिक किया गया। उन्होंने प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू के इस रवैये को पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को निराश करने वाला और पार्टी के सामूहिक प्रयासों को कमजोर करने वाला बताया। साथ ही कहा कि पार्टी के प्रति निष्ठा और कठिन परिश्रम के बाद भी उन्हें अन्यायपूर्ण तरीके से निशाना बनाया जा रहा है।
जयंत सिन्हा ने पत्र में लिखा है कि अगर पार्टी चाहती कि वह चुनावी गतिविधियों में भाग लें, तो उनसे संपर्क जरूर करती। दो मार्च को उन्होंने सक्रिय राजनीति से खुद को किनारा करने की घोषणा कर दी थी। इसके बाद पार्टी के किसी भी वरिष्ठ पदाधिकारी या सांसद-विधायक ने उनसे संपर्क नहीं किया। ना ही पार्टी के कार्यक्रम, रैली या संगठन की बैठकों में आमंत्रित किया। यदि बाबूलाल मरांडी उन्हें कार्यक्रमों में शामिल करना चाहते थे, तो निश्चित रूप से उन्हें आमंत्रित कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
जयंत सिन्हा ने अपने दो पन्नों के पत्र में लिखा है कि भाजपा प्रत्याशी मनीष जायसवाल ने 29 अप्रैल को नामांकन रैली (एक मई) में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। उस वक्त वह दिल्ली में थे। देर से आमंत्रित करने की वजह से उनके लिए रैली में आना संभव नहीं था। वह दो मई को हजारीबाग आते ही सीधे मनीष जायसवाल के घर पहुंचे। वह घर पर नहीं थे। तब उन्होंने मनीष जायसवाल के परिवार को अपना संदेश और शुभकामनाएं दी। वह तीन मई तक हजारीबाग में रहे, लेकिन मनीष जायसवाल से उनका कोई संपर्क नहीं हुआ।
जयंत सिन्हा ने आगे लिखा है कि जहां तक वोट नहीं करने की बात है, तो उन्होंने पोस्टल बैलेट के जरिये अपना वोट किया है। इसके बाद निजी प्रतिबद्धताओं के कारण 10 मई को विदेश चला गया। अंत में उन्होंने लिखा है कि हम निश्चित ही किसी भी समय व्यक्तिगत रूप से या फोन पर बात कर सकते थे, ताकि आपके किसी भी संदेह को दूर किया जा सके। हजारीबाग लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी के पदाधिकारी होने के नाते आप कभी भी मुझसे संपर्क कर सकते थे। चुनाव समाप्त होने के बाद इस तरह का पत्र भेजना समझ से परे है। उन्होंने लिखा है कि मैंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुझे सक्रिय चुनावी कर्तव्यों से मुक्त करने का आग्रह किया है ताकि मैं भारत और विश्व भर में वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने और उसका सामना करने के लिए जारी प्रयासों पर ध्यान केंद्रित कर सकूं। इसके साथ ही मैं आर्थिक और शासन संबंधी विषयों पर पार्टी के साथ काम करना सहर्ष जारी रखूंगा।
उन्होंने पत्र का जवाब झारखंड प्रदेश अध्यक्ष, झारखंड प्रदेश प्रभारी, झारखंड क्षेत्रीय संगठन महामंत्री, झारखंड प्रदेश संगठन महामंत्री और जिला अध्यक्ष को भी दिया है। दरअसल प्रदेश महामंत्री सह राज्यसभा सांसद आदित्य साहू ने उनसे ये पूछा था कि आखिर आपने चुनाव के दौरान प्रचार प्रसार में हिस्सा नहीं लिया और न ही संगठनात्मक कामों में। यहां तक कि मतदान में भी हिस्सा नहीं लिया। आखिर इसके पीछे का कारण क्या है। आपके इस रवैये से पार्टी की छवि धूमिल हो रही है। दो दिनों के अंदर स्पष्टीकरण दें।

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